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मॉरीशस के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से ‘पड़ोसी पहले’ नीति को मिली मजबूती
वाराणसी। मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम अपनी आठ दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत आए हुए हैं, जो दोनों देशों के बीच मजबूत और बहुआयामी साझेदारी को फिर से स्थापित करती है। उनकी यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और वैश्विक दक्षिण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
प्रधान मंत्री रामगुलाम बुधवार को वाराणसी पहुंचे, जहाँ उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इसके बाद गुरुवार को उन्होंने ताज होटल में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक से पहले, प्रधान मंत्री रामगुलाम ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की।
अपनी मुलाकात के बाद, विदेश सचिव मिस्री ने सोशल मीडिया पर मॉरीशस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मॉरीशस हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति का एक अभिन्न अंग है… मॉरीशस वैश्विक दक्षिण के प्रति प्रतिबद्धता का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है… यह एक ऐसी साझेदारी है जो विविध क्षेत्रों में विकसित हुई है, और इसका प्रमाण भारत और मॉरीशस के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों की संख्या में देखा जा सकता है।”
इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न क्षेत्रों में बहुआयामी साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों को नई गति मिली है।
सीपी राधाकृष्णन बने भारत के नये उपराष्ट्रपति, बी सुदर्शन रेड्डी को हराया, जानिये उनके बारे में….
नई दिल्ली। देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का चयन कर लिया गया है। उपराष्ट्रपति चुनाव में राधाकृष्णन ने विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों द्वारा हुए मतदान में राधाकृष्णन को कुल 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 15 वोट अमान्य घोषित किए गए।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। वे मात्र 17 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाना शुरू किया। 1998 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और कोयंबटूर से सांसद बने। यह जीत खास थी, क्योंकि इससे पहले हुए कोयंबटूर बम धमाकों के बाद राज्य की राजनीति में भाजपा की पैठ बनाना चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था। 1999 में भी वे दोबारा सांसद बने।
बीजेपी संगठन में अहम भूमिका
2004 से 2007 तक राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने राज्य में पार्टी संगठन को मजबूत करने पर काम किया। वे भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य भी रहे और कई बार पार्टी की केंद्रीय बैठकों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने कोयंबटूर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2014 में उन्होंने 3.89 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए और दूसरे स्थान पर रहे।
सरकारी दायित्व और योगदान
राधाकृष्णन ने 2016 से 2020 तक केंद्र सरकार के अधीन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत कोयर बोर्ड के चेयरमैन के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कोयर उद्योग को आधुनिक बनाने और निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठाए।साल 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया। फरवरी 2024 में वे महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल बने। राज्यपाल रहते हुए उन्होंने न केवल राज्य सरकार के साथ सहयोगपूर्ण संबंध बनाए, बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं से भी संवाद की नीति अपनाई।
अब उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी
अब 67 वर्षीय सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी नई भूमिका निभाएंगे। उपराष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के साथ ही वे राज्यसभा के सभापति भी बनेंगे और ऊपरी सदन के सुचारु संचालन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि उनका लंबा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव संसद की कार्यप्रणाली को मजबूती देगा। एनडीए के लिए यह नतीजा एक बड़ी सफलता है, वहीं विपक्ष के लिए यह चुनावी परिणाम एक झटका साबित हुआ है।
NIA ने 5 राज्यों में मारी रेड, 22 ठिकानों पर चल रही जांच
दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में सोमवार तड़के सुबह NIA ने एक साथ कई ठिकानों पर छापा मारा है. इसके साथ ही देश के अलग- अलग राज्यों में भी छापेमारी की जा रही है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक देशभर में लगभग 22 ठिकानों पर छापेमारी की गई है. पूरा मामला इंटरनल सिक्योरिटी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. इसी मामले में टीम की तरफ से छानबीन की जा रही है.राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम ने सोमवार तड़के बारामूला जिले के पट्टन शहर के जंगम गांव भी छापा मारा है. यहां टीम ने उमर रशीद लोन के घर पर एक संबंधित जांच के तहत छापा मारा है. फिलहाल पूरे मामले में अभी तक NIA की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है.
NIA की ये कार्रवाई ऐसे समय में हुई जब ऐसा माना जा रहा है कि पीएम मोदी 9 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जा सकते हैं. यहां बाढ़ के बाद की स्थिति का जायजा ले सकते हैं. हालांकि अब तक उनका जम्मू दौरा ऑफिशियल अनाउंस नहीं किया गया है. आतंकी साजिश मामले में एनआईए की टीम ने जम्मू-कश्मीर के साथ 5 राज्यों में एक साथ 22 जगहों पर छोपमारी की है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अधिकारियों ने बताया कि ये तलाशी एक आतंकी साजिश मामले में की जा रही है. अधिकारियों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में बारामुला, कुलगाम, अनंतनाग और पुलवामा जिलों में तलाशी चल रही है. छापेमारी के दौरान यहां से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, संदिग्ध वित्तीय दस्तावेज और अन्य कागजात भी बरामद हुए. बिहार में आठ स्थानों पर, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में एक-एक स्थान पर, उत्तर प्रदेश में दो स्थानों पर तथा जम्मू-कश्मीर में नौ स्थानों पर तलाशी ली जा रही है.
दिवाली-छठ के लिए चलेंगी स्पेशल ट्रेनें, जाने रूट और समय सारिणी
नई दिल्ली। दिवाली और छठ पूजा के त्योहारों पर यात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए, भारतीय रेलवे ने कई स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला किया है। इन ट्रेनों का मुख्य उद्देश्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में जाने वाले यात्रियों को सुविधा प्रदान करना है, जहां इन त्योहारों के दौरान सबसे अधिक भीड़ होती है। रेलवे ने विभिन्न जोन्स में हजारों ट्रिप के साथ इन ट्रेनों को चलाने की घोषणा की है।
दिल्ली से बिहार के लिए:
हजरत निजामुद्दीन-पटना स्पेशल (04094): यह ट्रेन 21 सितंबर से 29 नवंबर 2025 तक प्रतिदिन चलेगी। हजरत निजामुद्दीन से सुबह 11:00 बजे चलकर अगले दिन सुबह 05:00 बजे पटना पहुंचेगी। वापसी में, पटना-हजरत निजामुद्दीन स्पेशल (04093) 22 सितंबर से 30 नवंबर तक रोज सुबह 07:45 बजे पटना से चलेगी और अगले दिन 00:45 बजे हजरत निजामुद्दीन पहुंचेगी।
आनंद विहार-पाटलिपुत्र स्पेशल (04096): यह ट्रेन 21 सितंबर से 29 नवंबर तक प्रतिदिन आनंद विहार से 00:05 बजे चलकर अगले दिन 21:30 बजे पाटलिपुत्र पहुंचेगी।
आनंद विहार-दरभंगा स्पेशल (04016): यह ट्रेन 29 सितंबर से 30 नवंबर 2025 तक प्रतिदिन आनंद विहार से 15:30 बजे चलेगी और अगले दिन 15:00 बजे सीतामढ़ी पहुंचेगी।
आनंद विहार-भागलपुर स्पेशल (03418): यह ट्रेन 20 सितंबर से 1 दिसंबर तक आनंद विहार से 13:40 बजे चलकर अगले दिन 14:30 बजे भागलपुर पहुंचेगी।
मुंबई से उत्तर भारत के लिए:
मुंबई-हावड़ा स्पेशल: मुंबई से हावड़ा के बीच भी कई विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी जो बिहार और झारखंड के प्रमुख स्टेशनों पर रुकेंगी।
उधना-सीतामढ़ी स्पेशल: यह ट्रेन गुजरात और महाराष्ट्र से बिहार जाने वाले यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है।
दक्षिण भारत से उत्तर भारत के लिए:
विशाखापट्टनम-बेंगलुरु स्पेशल (03208): यह ट्रेन 14 सितंबर से 30 नवंबर 2025 तक हर शनिवार को विशाखापट्टनम से 15:20 बजे चलेगी।
पुरी-पटना स्पेशल (08439): यह ट्रेन 13 सितंबर से 29 नवंबर 2025 तक हर शनिवार को पुरी से 14:55 बजे चलेगी।
रेलवे का बड़ा तोहफा:
इस बार रेलवे ने यात्रियों को आकर्षित करने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। जो यात्री 13 से 26 अक्टूबर के बीच अपने घर जाने का टिकट बुक करते हैं और 17 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच वापसी का टिकट लेते हैं, उन्हें वापसी टिकट पर 20% की छूट मिलेगी।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि रेलवे ने पितृ पक्ष और दशहरा के लिए भी विशेष ट्रेनें शुरू की हैं, ताकि यात्रियों को त्योहारों के दौरान यात्रा में कोई परेशानी न हो। इन सभी ट्रेनों की बुकिंग आईआरसीटीसी की वेबसाइट और ऐप पर शुरू हो गई है। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे भीड़ से बचने के लिए जल्द से जल्द अपनी टिकट बुक करा लें।
रोपवे के टूटने के बाद मची अफरातफरी, 6 लोगों की मौत
पंचमहाल। गुजरात के पंचमहाल जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ पावागढ़ में शनिवार दोपहर बड़ा हादसा हो गया. यहां मालवाहक रोपवे अचानक गिर गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई. मृतकों में दो लिफ्टमैन, दो मजदूर और दो अन्य शामिल हैं. घटना की पुष्टि पंचमहाल कलेक्टर ने की है.
बताया जा रहा है कि हादसा दोपहर करीब 3:30 बजे रस्सी टूटने के कारण हुआ. घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई. राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया. हादसे के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है. फिलहाल प्रशासन की टीम मौके पर मौजूद है और हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी गई है.
पावागढ़ शक्तिपीठ गुजरात का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए पहुंचते हैं. हादसे के बाद मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में शोक और दहशत का माहौल है. प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है, जबकि तकनीकी जांच के बाद हादसे की वास्तविक वजह सामने आएगी.
प्रधानमंत्री ने GST 2.0 के रूप में आम नागरिकों को बड़ा तोहफा दिया है: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों के रूप में आम नागरिकों को एक बड़ा तोहफा दिया है। मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों को लाभ पहुँचाने के प्रधानमंत्री मोदी के इरादे की सराहना करते हुए, मंत्री ने कहा कि पहले 12 लाख रुपये तक की आय पर आयकर में छूट थी और अब जीएसटी युक्तिकरण से निम्न आय वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि जीएसटी सुधार देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत बड़ा लाभ होगा। मंत्री ने कहा, "हमारे देश का सकल घरेलू उत्पाद 330 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें उपभोग का योगदान लगभग 202 लाख करोड़ रुपये है। जीएसटी सुधारों के बाद, अगर 10 प्रतिशत की भी वृद्धि होती है, तो उपभोग में लगभग 20 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी, जिसका अर्थ है कि देश में 20 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त सकल घरेलू उत्पाद आएगा, जो अपने आप में एक उल्लेखनीय वृद्धि है।"
मंत्री ने आगे कहा कि उपभोग में वृद्धि से रोज़गार के अवसरों में वृद्धि होगी। कई आर्थिक गतिविधियाँ एक के बाद एक बढ़ने लगती हैं। इससे एक पुण्य चक्र का निर्माण होता है। आयकर छूट और जीएसटी का बड़ा फैसला मिलकर हमारे मध्यम वर्गीय परिवारों के हाथों में पैसा बढ़ाने में मदद करेंगे। इससे पहले, 56वीं जीएसटी परिषद ने नए दौर के जीएसटी सुधारों को मंजूरी दी थी, जिसके तहत कर संरचना को बहु-स्लैब प्रणाली से सरल बनाकर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की प्राथमिक दो-स्लैब प्रणाली में बदल दिया गया था, जो 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी है। जीएसटी 2.0 सुधारों का उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को और अधिक किफायती बनाना, व्यवसायों पर अनुपालन का बोझ कम करना और उपभोग-आधारित आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। पहले के जीएसटी ढांचे में 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के चार स्लैब थे।
'मेड इन इंडिया चिप्स' पर चलने वाले टेलीकॉम सिस्टम को मिला टीईसी सर्टिफिकेशन : केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव
दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि केवल घरेलू स्तर पर उत्पादित चिप्स का इस्तेमाल करने वाले टेलीकॉम सिस्टम को स्टैंडर्ड्स और क्वालिटी टेस्ट पास करते हुए टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) से सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है। केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस प्रगति की प्रशंसा करते हुए इसे देश के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक बड़ी छलांग बताया।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने एक्स पर लिखा, "भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा के लिए एक बड़ी छलांग! पहली बार, 'भारत में निर्मित' चिप्स पर चलने वाले एक टेलीकॉम सिस्टम ने मानकों और गुणवत्ता परीक्षणों (टीईसी सर्टिफिकेशन) को पास कर लिया है।" टीईसी सर्टिफिकेशन दूरसंचार विभाग का गुणवत्ता मानक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि दूरसंचार उपकरण सख्त प्रदर्शन और सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं। घरेलू स्तर पर रोलआउट की मंजूरी के साथ, इस अप्रूवल ने भारत के स्थानीय चिप्स को वैश्विक समकक्षों के साथ खड़ा कर दिया है, जिससे निर्यात के अवसर खुल गए हैं।
यह उपलब्धि आयातित सेमीकंडक्टरों पर निर्भरता कम करने में प्रगति का संकेत देती है, जो हाल ही में वैश्विक स्तर पर आई कमी के कारण उजागर हुई एक कमजोरी है। विश्लेषकों का कहना है कि डिजाइन, असेंबली, टेस्टिंग और इंटीग्रेशन में क्षमता बढ़ाने की भारत की रणनीति देश को सप्लाई चेन की कमियों को दूर करने में सक्षम बनाती है। ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका चिप उत्पादन में अग्रणी हैं, इसलिए उनका केंद्रीकरण सप्लाई चेन जोखिम पैदा करता है, जिसे भारत कम करना चाहता है। सेमीकंडक्टर लिथोग्राफी में वैश्विक अग्रणी, सेमीकंडक्टर उपकरण निर्माता एएसएमएल होल्डिंग एनवी ने हाल ही में आगामी वर्ष में भारतीय व्यवसायों के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के इरादे की घोषणा की है। सेमीकंडक्टर सेक्टर में घरेलू विनिर्माण और डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपए की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के साथ 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) शुरू किया गया था।
इस योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत 1.60 लाख करोड़ रुपए है, जिसमें धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स की 91,000 करोड़ रुपए की फैब, साणंद में माइक्रोन की 22,516 करोड़ रुपएय की पैकेजिंग सुविधा और अगस्त में शुरू हुई सीजी पावर की नई ओएसएटी पायलट लाइन शामिल है। भारत 28एनएम-65एनएम रेंज में मैच्योर नोड्स पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो टेलीकॉम, ऑटोमोटिव और औद्योगिक एप्लीकेशन के लिए आवश्यक हैं। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2023 में 38 अरब डॉलर का था और 2024-25 में 45 से 50 अरब डॉलर और 2030 तक 100 से 110 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर, सेमीकंडक्टर बाजार उसी वर्ष तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
सीनियर सिटीजन के लिए एयर इंडिया का खास ऑफर: टिकट पर 25% तक छूट, UPI पेमेंट पर मिलेगा एक्स्ट्रा डिस्काउंट
टाटा ग्रुप की एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया ने अपने यात्रियों, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए बड़ा तोहफा दिया है। एयर इंडिया ने घोषणा की है कि 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के यात्री फ्लाइट टिकट पर आकर्षक छूट का फायदा उठा सकते हैं।
कंपनी के अनुसार, डोमेस्टिक फ्लाइट टिकट के बेस प्राइस पर 25% तक की छूट दी जाएगी। यह सुविधा इकोनॉमी और बिजनेस क्लास दोनों कैटेगरी की टिकटों पर लागू होगी। इसके अलावा, यदि यात्री टिकट बुकिंग के समय UPI से पेमेंट करते हैं, तो उन्हें ₹200 तक की अतिरिक्त छूट मिलेगी। इसके लिए यात्रियों को UPIPROMO प्रोमोकोड का इस्तेमाल करना होगा।
बुकिंग के बाद यदि यात्री अपनी यात्रा की तारीख बदलना चाहते हैं, तो उन्हें एक बार फ्री में तारीख बदलने की सुविधा भी मिलेगी।
इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर भी ऑफर
एयर इंडिया ने यह ऑफर अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए भी लागू किया है। इंटरनेशनल फ्लाइट टिकट के बेस प्राइस पर 10% तक की छूट दी जाएगी। इसमें भी इकोनॉमी और बिजनेस क्लास दोनों शामिल हैं।
साथ ही, यात्रियों को 10 किलो अतिरिक्त सामान या एक अतिरिक्त बैग बिना किसी एक्स्ट्रा चार्ज के ले जाने की अनुमति होगी। UPI से पेमेंट करने पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की बुकिंग पर यात्रियों को ₹2000 तक की एक्स्ट्रा छूट मिलेगी।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में बड़ा फैसला, अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब रहेंगे
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कर प्रणाली को आसान बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। अब देश में केवल दो जीएसटी स्लैब 5% और 18% ही रहेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी है।
देश में अब 12% और 28% वाले स्लैब को खत्म कर दिया गया है। इसके तहत 12% टैक्स श्रेणी में आने वाले करीब 99% सामानों को 5% स्लैब में ला दिया जाएगा। वहीं 28% टैक्स वाले सामानों को 18% स्लैब में शामिल करने पर निर्णय लिया गया है।
22 सितंबर से लागू होंगे नए नियम
जीएसटी काउंसिल द्वारा पारित सभी फैसले देश में 22 सितंबर 2025 से लागू हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इस बदलाव से कई तरह के सामानों के दाम घटेंगे और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को जीएसटी रिफॉर्म की घोषणा की थी। पीएम मोदी की घोषणा के बाद यह पहली बैठक थी, जिसमें यह अहम निर्णय लिया गया है।
जानिए क्या-क्या होगा सस्ता?
जीएसटी काउंसिल की बैठक में मक्खन, घी, ड्राई फ्रूट्स, कंडेंस्ड मिल्क, सॉसेज, मांस, जैम एवं जेली, नारियल पानी, नमकीन, पीने के पानी की 20 लीटर वाली बोतल, फल का गूदा और जूस, दूध वाले पेय, आइसक्रीम, पेस्ट्री, बिस्कुट, कॉर्न फ्लेक्स एवं अनाज जैसे उत्पादों पर टैक्स की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। यानी ये सभी प्रोडक्ट सस्ते हो गए हैं। इसके अलावा बिना पैक खाद्य पदार्थों पर शून्य कर जारी रहेगा।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में जूते-चप्पल और रेडिमेड कपड़ों पर भी राहत का प्रस्ताव रखा गया। अभी तक 1000 रुपये तक की कीमत वाले उत्पादों पर 5 प्रतिशत और उससे अधिक दाम वाले उत्पादों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। GST Council ने जूते-चप्पल एवं परिधानों पर 5 प्रतिशत टैक्स की सीमा बढ़ाकर 2500 रुपये करने का फैसला किया है। इससे ऊपर की श्रेणी के रेडिमेड कपड़े एवं जूते 18 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आएंगे।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, इस्तेमाल नहीं होने वाले वाहनों पर नहीं लगेगा रोड टैक्स
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मोटर व्हीकल टैक्स को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी वाहन का सार्वजनिक सड़कों पर इस्तेमाल नहीं हो रहा है, तो उस पर रोड टैक्स नहीं लगाया जा सकता। यह फैसला उन वाहन मालिकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिन्हें अपनी पुरानी या खराब गाड़ियों पर भी सालों से टैक्स देना पड़ रहा था।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि मोटर वाहन कर सिर्फ सार्वजनिक सड़कों के उपयोग के लिए लगाया जाता है। अगर कोई वाहन सड़क पर नहीं चल रहा है, तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आएगा। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि टैक्स लगाने का उद्देश्य राज्य को सड़कों के निर्माण और रखरखाव के लिए राजस्व जुटाना है।
कैसे शुरू हुआ यह मामला?
यह मामला तब शुरू हुआ जब कुछ वाहन मालिकों ने अपनी पुरानी गाड़ियों का इस्तेमाल बंद कर दिया था, लेकिन फिर भी उनसे रोड टैक्स की मांग की जा रही थी। ये मालिक अपनी गाड़ियों को या तो अपने निजी परिसर में रखते थे या वे पूरी तरह से खराब हो चुकी थीं। उन्होंने तर्क दिया कि जब वे वाहन का इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं, तो टैक्स क्यों दें। कई हाई कोर्ट्स ने भी पहले इसी तरह के फैसले दिए थे, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां अब अंतिम फैसला आया है।
किन लोगों को मिलेगी राहत?
इस फैसले से उन लाखों लोगों को सीधा फायदा होगा, जिनकी गाड़ियां कबाड़ बन चुकी हैं या लंबे समय से गैराज में खड़ी हैं। अब उन्हें हर साल बिना किसी वजह के रोड टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। हालांकि, इस टैक्स से छूट पाने के लिए वाहन मालिक को संबंधित परिवहन विभाग (RTO) को यह साबित करना होगा कि उनका वाहन सार्वजनिक उपयोग में नहीं है। इसके लिए उन्हें एक आवेदन देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मोटर वाहन अधिनियम की सही व्याख्या करता है और इसे नागरिकों के हित में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
प्राचार्य ई संवर्ग पदोन्नति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे से किया इनकार, अब 28 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
रायपुर। प्राचार्य ई संवर्ग पदोन्नति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस मामले में “कोटे पर कोटा” नीति को चुनौती देते हुए राजेश शर्मा की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।सुप्रीम कोर्ट ने प्राचार्य ई संवर्ग की पदोन्नति पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले पर अंतिम सुनवाई आगे होगी, जिसकी संभावित तारीख 28 अक्टूबर तय की गई है। इससे ई संवर्ग के शिक्षकों में उम्मीद जगी है कि जल्द ही पदोन्नति प्रक्रिया पूरी होगी और नियुक्तियां दी जाएंगी।सुनवाई के दौरान इंटरविनर रामगोपाल साहू एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता आशुतोष घड़े और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने विस्तार से तर्क दिया कि ई संवर्ग (एलबी संवर्ग) के शिक्षकों के साथ पूर्व में न्याय नहीं हुआ है।
एलबी संवर्ग का पक्ष
इंटरविनर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2012 में भी एलबी संवर्ग को प्राचार्य पदोन्नति में 25% पदों का प्रावधान था, लेकिन विभिन्न कारणों से उन्हें उस समय पदोन्नति का लाभ नहीं मिल सका।
वर्तमान में ई संवर्ग (एलबी संवर्ग) के व्याख्याताओं की संख्या लगभग 80% तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद उन्हें व्याख्याता संवर्ग में अपेक्षाकृत बहुत कम पद मिले हैं। अधिवक्ताओं का कहना था कि राज्य शासन को यह अधिकार है कि वह अपने कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए ताकि सभी संवर्गों को समान रूप से लाभ मिल सके।
सरकार की ओर से कमजोरी
सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि शासन की ओर से कोई वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं हुए। यहां तक कि ऑनलाइन माध्यम से भी शासन की ओर से कनेक्टिविटी नहीं हो पाई। इस कारण याचिकाकर्ता का पक्ष अधिक सशक्त रूप से सामने आ सका।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से की गई स्टे की मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जाएगी और तब अंतिम निर्णय होगा। अगली सुनवाई की संभावित तारीख 28 अक्टूबर तय की गई है।
ई संवर्ग शिक्षकों में उम्मीद
कोर्ट के इस फैसले से ई संवर्ग (एलबी संवर्ग) के शिक्षकों और प्राचार्य पद की प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवारों में राहत और उम्मीद की लहर है। उनका मानना है कि अब पदोन्नति प्रक्रिया अवरुद्ध नहीं होगी और जल्द ही उन्हें हाईकोर्ट व शासन से भी राहत मिल सकती है।
ई संवर्ग के प्रतिनिधि संजय शर्मा ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं दिया है। इसका मतलब है कि प्राचार्य पदोन्नति की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। सभी ई संवर्ग के प्राचार्य साथी आशान्वित रहें। जल्द ही हाईकोर्ट से भी निर्णय आएगा और शीघ्र पोस्टिंग होगी।”
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, शिक्षकों को नौकरी और प्रमोशन के लिए पास करना होगा TET
नई दिल्ली। शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की गुणवत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अब सभी शिक्षकों के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना जरूरी होगा। यह नियम न केवल नियुक्ति बल्कि नौकरी में बने रहने और प्रमोशन पाने पर भी लागू होगा।
बेंच का फैसला
जस्टिस दीपांकर दत्त और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि में अभी 5 साल से अधिक शेष है, उन्हें किसी भी हाल में TET क्वालिफाई करना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या फिर कंपल्सरी रिटायरमेंट लेना होगा।हालांकि, जिन शिक्षकों की सेवा अवधि सिर्फ 5 साल या उससे कम बची है, उन्हें इससे छूट दी गई है।
TET की अनिवार्यता कब से?
गौरतलब है कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने वर्ष 2010 में ही यह नियम तय किया था कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति केवल उन्हीं में से की जाएगी जिन्होंने TET परीक्षा पास की हो। इसका उद्देश्य शिक्षकों की गुणवत्ता और छात्रों को बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करना था। लेकिन बड़ी संख्या में पुराने शिक्षक इस नियम से बाहर थे, जिससे अक्सर विवाद खड़ा होता रहा। अब सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद मामला पूरी तरह स्पष्ट हो गया है।
अल्पसंख्यक संस्थानों पर क्या होगा असर?
कोर्ट ने यह भी माना कि सवाल यह है कि क्या राज्य सरकारें अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर भी TET अनिवार्य कर सकती हैं? और अगर हां, तो क्या यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा? इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास रेफर कर दिया है, जहां इस पर विस्तार से सुनवाई होगी।
शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदेश शिक्षकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इससे न केवल सरकारी बल्कि प्राइवेट और सहायता प्राप्त विद्यालयों में भी योग्य शिक्षकों की नियुक्ति और सेवा की गारंटी होगी। वहीं, कई शिक्षक संगठनों ने इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ इसे शिक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम मानते हैं, तो कुछ का कहना है कि पहले से कार्यरत शिक्षकों को इतना सख्त विकल्प (इस्तीफा या रिटायरमेंट) देना कठोर है।
ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्स बढ़ने का असर: MPL करेगा 300 कर्मचारियों की छंटनी
केंद्र सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाने के फैसले का असर अब दिखने लगा है। भारत की सबसे बड़ी मोबाइल गेमिंग कंपनी, मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL), ने लागत कम करने के लिए 300 कर्मचारियों की छंटनी करने का ऐलान किया है। यह कंपनी की कुल वर्कफोर्स का लगभग 50% हिस्सा है।
क्यों हो रही है छंटनी?
कंपनी के सीईओ साई श्रीनिवास किरण ने एक ईमेल के माध्यम से कर्मचारियों को बताया कि 28% जीएसटी लगाने के फैसले के कारण यह कदम उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा, “यह फैसला हमारे बिजनेस पर एक बड़ा बोझ डालता है। पहले हम केवल ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू पर टैक्स देते थे, लेकिन अब हमें पूरी एंट्री फीस पर टैक्स देना होगा। इससे हमारा कैशफ्लो बुरी तरह प्रभावित होगा और हमें अपनी लागत को कम करने के लिए यह दुखद कदम उठाना पड़ रहा है।”
गेमिंग इंडस्ट्री पर असर
सरकार का यह फैसला गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका है। कई गेमिंग कंपनियों ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है, क्योंकि उनका मानना है कि इससे न केवल उनकी कमाई पर असर पड़ेगा, बल्कि यह पूरे गेमिंग सेक्टर के विकास को भी बाधित करेगा।
निवेश पर असर: विश्लेषकों का मानना है कि इस टैक्स बढ़ोतरी से विदेशी निवेशकों का भारतीय गेमिंग मार्केट में रुझान कम हो सकता है।
छोटे स्टार्टअप्स पर दबाव: बड़े प्लेयर्स की तरह छोटे स्टार्टअप्स के लिए इस टैक्स का बोझ उठाना मुश्किल होगा, जिससे कई कंपनियां बंद हो सकती हैं।
रोजगार पर खतरा: MPL की तरह, कई अन्य कंपनियां भी लागत कम करने के लिए छंटनी कर सकती हैं, जिससे हजारों लोगों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
सरकार का तर्क
सरकार का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग पर ज्यादा टैक्स लगाना जरूरी था। उनका तर्क है कि ये एक तरह का जुआ है, और इसे कसीनो और हॉर्स रेसिंग के बराबर माना जाना चाहिए। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी।
आगे क्या?
MPL की छंटनी इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में गेमिंग इंडस्ट्री में और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यह देखना होगा कि क्या सरकार गेमिंग कंपनियों की अपील पर ध्यान देती है या यह इंडस्ट्री के लिए एक नया और कठिन दौर शुरू होता है। फिलहाल, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए यह एक मुश्किल समय है।
कमर्शियल LPG सिलेंडर की कीमत आज से 51 रुपए की हुई कटौती
रायपुर/दिल्ली। तेल विपणन कंपनियों ने कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में एक बार फिर कटौती की है। अब 19 किलो वाला कमर्शियल गैस सिलेंडर दिल्ली में 1,580 रुपए में उपलब्ध होगा। इससे पहले 1 जुलाई को कंपनियों ने 58.50 रुपए की कटौती की थी और अगस्त की शुरुआत में 33.50 रुपए घटाए थे। यानी पिछले कुछ महीनों में लगातार दाम कम किए जा रहे हैं। जून में यह कीमत 1723.50 रुपए थी, जबकि अप्रैल में यह 1762 रुपए थी। फरवरी में 7 रुपए की मामूली राहत मिली थी, लेकिन मार्च में फिर 6 रुपए की वृद्धि हो गई थी। हालांकि, घरेलू उपभोक्ताओं को फिलहाल राहत नहीं मिली है। 14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कंपनियों ने स्पष्ट किया कि केवल कमर्शियल सिलेंडर की दरों में ही संशोधन हुआ।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से होटल, ढाबा और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को सीधा लाभ होगा, जो रोजाना खाना बनाने के लिए बड़े सिलेंडर का उपयोग करते हैं। अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम और बाजार की अन्य स्थितियों को देखते हुए हर महीने गैस की कीमतों की समीक्षा की जाती है। इसी बीच केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एक और बड़ा निर्णय लिया है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 300 रुपए प्रति सिलेंडर (14.2 किलो) की सब्सिडी देने की मंजूरी दी गई है। यह सब्सिडी साल 2025-26 के लिए होगी और अधिकतम 9 बार (रीफिल) के लिए मिलेगी। 5 किलो सिलेंडर लेने वालों के लिए यह सब्सिडी अनुपातिक रूप से लागू होगी। इस फैसले पर सरकार कुल 12,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। उज्ज्वला योजना मई 2016 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देना था। 1 जुलाई 2025 तक देशभर में करीब 10.33 करोड़ उज्ज्वला कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
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दिल्ली: PM पर अपमानजनक भाषा को लेकर BJP का प्रदर्शन, राहुल से माफी की मांग
दिल्ली। बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस्तेमाल की गई "अभद्र भाषा" के विरोध में शनिवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर बिहार में एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और उनकी माँ का अपमान करने का आरोप लगाया, जहाँ राहुल गांधी प्रचार कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी पोस्टर लिए और नारे लगाते हुए राहुल गांधी से माफ़ी मांगने की मांग कर रहे थे।
सचदेवा ने कहा, "यह एक अक्षम्य अपराध है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल की गई अभद्र भाषा के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी की दिवंगत माँ का अपमान देश की सभी माताओं का अपमान है। मैं सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा से पूछना चाहता हूँ कि वे इसे कैसे स्वीकार कर सकती हैं, क्योंकि वे भी माँ हैं।"
कथित तौर पर यह अभद्र भाषा बुधवार को बिहार के दरभंगा में एक राजनीतिक जुलूस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के संदर्भ में इस्तेमाल की गई थी, जिसमें राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका वाड्रा और राजद नेता तेजस्वी यादव शामिल थे। गुरुवार को, स्थानीय कांग्रेस नेता मोहम्मद नौशाद, जिन्हें बिहार पुलिस ने एक मामले में फंसाया है, ने स्वीकार किया कि यह भाषण उनके द्वारा स्थापित एक मंच पर दिया गया था। हालाँकि, उन्होंने दावा किया कि यह अभद्र टिप्पणी उनकी अनुपस्थिति में उन लोगों द्वारा की गई थी जिन्हें वे नहीं जानते थे। शुक्रवार को, दरभंगा पुलिस ने घटना के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति की पहचान मोहम्मद रिज़वी (20), उर्फ राजा, निवासी सिंहवाड़ा के रूप में की और उसे गिरफ्तार कर लिया।
महानदी जल विवाद सुलझाने को छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने शुरू की पहल, इंजीनियरों की टीम हर हफ़्ते करेगी काम, बनेगा समन्वय का नया ढाँचा
नई दिल्ली। भारत की एक प्रमुख नदी, महानदी, जो छत्तीसगढ़ से निकलकर ओडिशा होकर बंगाल की खाड़ी तक जाती है, लंबे समय से विवाद का कारण बनी हुई है।
इस लंबे विवाद को बातचीत से हल करने के लिए 30 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। इसमें छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्य सचिवों और जल संसाधन विभाग के सचिवों ने हिस्सा लिया। बैठक में दोनों राज्यों ने माना कि यह समस्या बहुत पुरानी और कठिन है, लेकिन लोगों और दोनों राज्यों के भले के लिए इसका समाधान मिल-बैठकर निकालना ही होगा।
बैठक में यह भी तय हुआ कि सितंबर 2025 से दोनों राज्यों की तकनीकी समितियाँ, जिनमें इंजीनियर और विशेषज्ञ होंगे, हर हफ़्ते बैठक करेंगी। ये समितियाँ मुख्य मुद्दों को पहचानेंगी और उनका हल निकालने की कोशिश करेंगी। साथ ही, वे यह भी देखेंगी कि कैसे दोनों राज्यों के बीच बेहतर तालमेल बनाया जा सकता है।
अक्टूबर 2025 में दोनों राज्यों के मुख्य सचिव एक और बैठक करेंगे। इसमें जल संसाधन सचिव भी शामिल होंगे। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो दिसंबर तक दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी मुलाक़ात कर सकते हैं और आगे की दिशा तय करेंगे।
अंत में दोनों राज्यों ने यह वादा किया कि वे ईमानदारी और खुले मन से बातचीत करेंगे, ताकि महानदी जल विवाद का हल ऐसा निकले जो सबके लिए लाभकारी हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह पहल सफल रही, तो यह न सिर्फ ओडिशा और छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल होगी कि बड़े और पुराने विवाद भी आपसी बातचीत और सहयोग से सुलझाए जा सकते हैं।