मेडिकल कॉलेज हॉस्टल व आवासीय भवन निर्माण में बड़ा गोलमाल, लेटलतीफी से सरकार को लगा करोड़ों का चूना, शासन ने मानी लापरवाही, कार्रवाई की शर्त पर अब राशि हुई जारी
रायपुर। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर परिसर में आवास गृह (2BHK एवं 3BHK) और छात्र-छात्रावास भवन निर्माण में हुई भारी देरी और लागत में हुई अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर राज्य शासन ने कड़ा रुख अपनाया है। शासन ने इस परियोजना में हुई लापरवाही को स्वीकार करते हुए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, यह निर्माण कार्य वन विभाग से प्राप्त शासकीय भूमि पर होना था, लेकिन लंबे समय से परियोजना समय पर पूरी नहीं हो पाई। निर्माण कार्य में हुई देरी से न केवल परियोजना अधूरी रही, बल्कि इसकी लागत भी काफी बढ़ गई। अब शासन ने पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति देते हुए ₹6139.31 लाख की राशि जारी करने की मंजूरी दी है।
स्वीकृति में यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित अधिकारियों की लापरवाही की जिम्मेदारी तय की जाएगी और उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग के व्यय मद संख्या 67 और निर्माण कार्य (#97) के अंतर्गत यह राशि स्वीकृत की गई है। इस निर्णय को वित्त विभाग से भी सहमति मिल चुकी है।
सूत्रों का कहना है कि यह परियोजना छात्रों और चिकित्सा महाविद्यालय के स्टाफ के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन लंबे समय से इसकी गति बेहद धीमी रही। इससे न केवल छात्रों को आवासीय सुविधाओं के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, बल्कि शासन को अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह की परियोजनाओं में समयबद्धता और जवाबदेही तय न की जाए, तो लागत बढ़ने और सार्वजनिक धन की बर्बादी के मामले लगातार सामने आते रहेंगे।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर किस स्तर की कार्रवाई करता है और क्या भविष्य में ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था लागू की जाती है।
राज्य शासन ने पं. जे.एन. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर परिसर में आवासीय गृह (2BHK एवं 3BHK) तथा छात्र-छात्रावास भवन निर्माण के लिए पुनरीक्षित राशि स्वीकृत की है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इसके लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी का आभार प्रकट किया है।
इस आशय के संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आदेश जारी करते हुए 61.39 करोड़ रुपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है। विभागीय जानकारी के अनुसार यह स्वीकृति चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित व्यय मद से दी गई है और वित्त विभाग ने भी अपनी सहमति प्रदान कर दी है।