धर्म /अध्यात्म

पूर्णिमा स्नान के साथ आज से 15 दिनों का पितृ पक्ष शुरू

रविवार, 7 सितंबर से  15 दिन तक चलने  वाला पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है। भाद्रपद पूर्णिमा के पावन स्नान के साथ, यह विशेष अवधि शुरू हो गई है। इस दौरान लोग अपने आक्षेप को  श्रद्धा  और सम्मान के साथ याद करते हैं और अपनी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक कार्य करते हैं। सिद्धांत यह है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंशों द्वारा किये गए श्राद्ध कर्मों को स्वीकार करते हैं।

क्या होता है पितृ पक्ष?

हिन्दू धर्म में, पितृ पक्ष वह समय है जब व्यक्ति अपने पूर्वजों के प्रति अपना आभार और सम्मान व्यक्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पूर्वज पितृ लोक से पृथ्वी पर आते हैं। अगर उनके लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाए, तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे पितृ ऋण चुकाने का एक तरीका माना जाता है।

पितृ पक्ष में क्या करें?

श्राद्ध और तर्पण: पितृ पक्ष में अपने पितरों की मृत्यु की तिथि (तिथि) के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। इस कर्म में तर्पण, पिंडदान, और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल है।

दान-पुण्य: इस दौरान अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल, छाता और अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

पशु-पक्षियों को भोजन: श्राद्ध के दौरान, ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद कौए, गाय और कुत्तों को भोजन कराना चाहिए, क्योंकि इन्हें पितरों का रूप माना जाता है।

सात्विक जीवन: पितृ पक्ष के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए। मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।

ध्यान और प्रार्थना: अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए रोज ध्यान और प्रार्थना करनी चाहिए।

पितृ पक्ष में क्या न करें?

नया कार्य शुरू न करें: यह अवधि शोक और श्रद्धा की है। इसलिए, इस दौरान किसी भी नए और शुभ कार्य की शुरुआत, जैसे शादी, गृह प्रवेश, या नए व्यापार का उद्घाटन नहीं करना चाहिए।

मांगलिक कार्य टालें: पितृ पक्ष के दौरान विवाह जैसे मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।

नए कपड़े न खरीदें: इस अवधि में नए कपड़े, गहने या अन्य लग्जरी चीजें खरीदने से बचना चाहिए।

नाखून और बाल न कटवाएं: कुछ लोग पितृ पक्ष के दौरान नाखून और बाल काटने से बचते हैं, क्योंकि इसे शुभ नहीं माना जाता।

किसी का अपमान न करें: इस दौरान किसी भी व्यक्ति, विशेषकर बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए।

इस वर्ष, पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर, रविवार को सर्व पितृ अमावस्या के साथ होगा। यह दिन उन सभी पितरों के लिए श्राद्ध करने का मौका है जिनकी मृत्यु की तिथि याद न हो।